भारत के रूरल एजुकेशन सिस्टम को अपग्रेड करने के 5 तरीके
भारत के रूरल एजुकेशन सिस्टम को अपग्रेड करने के 5 तरीकेASER 2019 की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण भारत में स्कूल जाने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि, 5वीं के 50% से अधिक छात्र कक्षा 2 की किताबें पढ़ने में सक्षम नहीं हैं। वे नहीं जानते कि बुनियादी गणितीय समस्याओं को कैसे हल किया जाए। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनसे भारत में ग्रामीण शिक्षा में बदलाव लाया जा सकता है।
फ्री एजुकेशन को बढ़ावा
गरीबी भारत की आम समस्याओं में से एक है। यह ग्रामीण भारत में शिक्षा को बढ़ावा देने में प्रमुख बाधाओं में से एक है। इस समस्या को केवल तभी हल किया जा सकता है जब मुफ्त या बहुत कम शुल्क पर क्वालिटी एजुकेशन दी जा रही हो। यह निश्चित रूप से साक्षरता दर को बढ़ाने वाला होगा क्योंकि अधिक से अधिक अभिभावक अपने बच्चों को स्कूलों में भेजेंगे।
ज्यादा स्कूलों की स्थापना
बदलते वक्त में ग्रामीण भारत में भी माता-पिता अपने बच्चों के जीवन में शिक्षा के महत्व को समझते हैं, लेकिन अच्छे स्कूलों की कमी बड़ी समस्या है प्राइवेट स्कूल मौजूद भी हैं तो वे इतने महंगे हैं कि उनका खर्च मध्यम और निचली आय वर्ग के लिए उठाना मुश्किल हैं। इसका समाधान तभी हो सकता है, जब सरकार अधिक किफायती स्कूलों की स्थापना के लिए पहल करे, जो समाज के निम्न आर्थिक समूहों के लिए भी पॉकेट-फ्रेंडली हों।
स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर
उचित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण ग्रामीण शिक्षण संस्थान बहुत बुरे हाल में हैं। ग्रामीण भारत के स्कूलों में पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं। साथ ही छात्र-शिक्षक अनुपात भी काफी कम है, जिससे हर छात्र पर ध्यान देना और भी मुश्किल हो जाता है। अगर हम मजबूत शैक्षिक जीवन की नींव रखना चाहते है तो सबसे पहले उसकी बुनियाद को मजबूत करने की जरूरत है।
इनोवेटिव टीचिंग मेथड
शिक्षा के स्तर ने शहरी क्षेत्रों में बहुत कुष्ठ बदला है, जिसमें ऑनलाइन क्लासेज जैसी नई शिक्षा तकनीक शामिल हैं, लेकिन ग्रामीण भारत में शिक्षण तकनीकों की स्थिति अभी भी परंपरा है, जिसे बदलना होगा। ग्रामीण स्कूलों में भी पढ़ने-पढ़ाने के नए तरीकों से शिक्षा को आसान और सुलभ बनाना होगा।
ई-लिटरेसी
यह सच है कि भारत तकनीकी रूप से प्रगति कर रहा है, हालांकि दुख की बात है कि इस उन्नति की छाप अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं पहुंची हैं। इससे शहरी और ग्रामीण भारत में डिजिटल अंतर पैदा हो गया है। ग्रामीण भारत के स्कूलों को कंप्यूटर शिक्षा से लेंस करने के साथ ही तकनीकी शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है।