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R&AW भारत के रक्षा बलों की "BACKBONE"

 INDIA'S UNSUNG HEROES

Research and Analysis Wing अनुसंधान और विश्लेषण विंग India भारत

R&AW  भारत के रक्षा बलों की "BACKBONE"

रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) भारत की प्रमुख विदेशी खुफिया एजेंसी है, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसकी स्थापना 52 साल पहले यानी 21 सितंबर, 1968 को हुई थी। इस बारे में सोचने पर लगता है, कि R&AW के लिए काम करना बेहद रोमांचक होगा। कूल गैजेट्स के साथ सीक्रेट ऑपरेशन के लिए दुनिया के हर कोने में जाने को मिलता होगा। हालांकि, खुफिया एजेंसी के काम को दर्शाने वाली मिशन इम्पॉसिबल और जेम्स बॉन्ड जैसी लोकप्रिय फिल्मों में सत्य घटनाओं के साथ-साथ एक्शन भी होता है। अगर आप भारत के अनसंग हीरोज के बारे में जानना चाहते हैं, तो स्वाइप करें:

धर्मो रक्षति रक्षितः

आदर्श वाक्य

R&AW का आदर्श वाक्य 'धर्मो रक्षति रक्षितः है, अर्थात-जो धर्म का पालन नहीं करता है, वह नष्ट हो जाता है, जबकि वह जो इसका सावधानीपूर्वक पालन करता है, वह सुरक्षित रहता है। इसमें धर्म का प्रयोग राष्ट्र के लिए किया गया है।


यह कैसे संचालित होता है?

वर्तमान में R&AW प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अंतर्गत काम करता है। इसे जानबूझकर एजेंसी की बजाय एक विंग के रूप में स्थापित किया गया था। कि संसद के RTI अधिनियम के लिए एजेंसी की रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को दरकिनार किया जा सके। पब्लिक डोमेन में संगठन के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करना मुश्किल है।

इतिहास

1968 से पहले भारत का इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) भारत की सभी घरेलू और विदेशी खुफिया गतिविधियों के लिए जिम्मेदार था, लेकिन IB दोनों मिशनों की मांगों को संभालने में सक्षम नहीं था। यह तब स्पष्ट हुआ, जब चीन के खिलाफ भारत के विदेशी खुफिया संग्रह में कमी के कारण 1962 के चीन-भारतीय युद्ध के दौरान भारत की हार हुई। तीन साल बाद, भारत-पाक युद्ध हुआ, जिसके बाद एक अलग और विशिष्ट विदेशी खुफिया संगठन जरूरत बन गया।


फाउंडेशन

1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ईरान काओ को 250 कर्मचारियों और $ 405,500 के बजट के साथ R&AW के पहले निदेशक के रूप में नियुक्त किया। उसके बाद R&AW ने राजनीतिक और सैन्य गतिविधियों के प्रति जागरूकता बनाए रखने और भारत विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए चीन और पाकिस्तान में मिशन शुरू किए।


R&AW लोकप्रिय मिशन

 क्रिएशन ऑफ बांग्लादेश

R&AW ने बांग्लादेशी गुरिल्ला संगठन "मुक्ति वाहिनी" को ट्रेनिंग, इंटेलिजेंस और गोला-बारूद प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना की आवाजाही भारत की विदेशी खुफिया जानकारी से बाधित हो गई थी। अंत में 1971 में बांग्लादेश का निर्माण हुआ।


ऑपरेशन मेघदूत

1984 में R&AW ने भारतीय सेना को पाकिस्तान के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई थी, जिसके अनुसार पाकिस्तान ने सियाचिन ग्लेशियर के साल्टोरो रिज पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन अबाबील' नाम से आक्रमण की योजना बनाई थी। भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत की शुरुआत की और करीब 300 सैनिकों को साल्टोरो रिज में तैनात कर दिया। इससे पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा था।


ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा

ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा भारत के पहले परमाणु कार्यक्रम का नाम रखा गया था। R&AW को पहली बार भारत के अंदर किसी परियोजना में शामिल किया गया था। 18 मई 1974 को भारत में सफलतापूर्वक 15 किलोटन प्लूटोनियम डिवाइस का पोखरण में परिक्षण किया गया था। इसके बाद भारत परमाणु क्षमता वाले राष्ट्रों के विशिष्ठ समूह में शामिल हो गया था।

द ब्लैक टाइगर

रविन्द्र कौशिक एक प्रसिद्ध थिएटर आर्टिस्ट थे। 1975 में R&AW के अधिकारियों ने उन्हें पाकिस्तान में एक जासूस के रूप में भेजा था, जहां वह पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए और 'मेजर" के पद तक पहुंचने में सफल रहे। उन्होंने खुफिया एजेंसियों को महत्वपूर्ण जानकारी भेजकर हजारों भारतीयों को बचाया था इसलिए R&AW ने उन्हें 'ब्लैक टाइगर' की उपाधि दी थी।


कारगिल वॉर

R&AW ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ और उनके चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अजीज के बीच की टेलीफोनिक बातचीत को सफलतापूर्वक टैप किया था। इस दौरान मुशर्रफ बीजिंग में थे। इस टेप से यह साबित हुआ था कि कारगिल युद्ध के वक्त, क्योंकि वह चीन के बीजिंग में थे, और इस्लामाबाद में उनके चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अजीज थे। यह टेप 1999 के कारगिल हमले में पाकिस्तानी संलिप्तता साबित करने में सहायक था।

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