किसानों-सरकार में गतिरोध जारी, PM मोदी ने की ये खास अपील
किसानों और सरकार के बीच गतिरोध जारी है। अब पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए बीते दिन कृषि मंत्री द्वारा किसान आंदोलन के मसले पर की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र किया है। वहीं लोगों से इसे सुनने की अपील भी की है। पीएम मोदी ने लिखा, ‘मंत्रिमंडल के मेरे दो सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर जी और पीयूष गोयल जी ने नए कृषि कानूनों और किसानों की मांगों को लेकर विस्तार से बात की है। इसे जरूर सुनें’
किसान विरोध क्यों कर रहे हैं?
किसानों को क्या डर है?
क्या विपक्ष पूरी तरह से गलत है?
किसान क्या चाहते हैं?
कृषि एक्ट क्या है?
किसानों का उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020
मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 (सशक्तीकरण और संरक्षण)
आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020
21 SEPT 2020
जब एक्ट कब पास हुए ?
भारतीय संसद ने कृषि उपज के विपणन के तरीके में सुधार के लिए 21 सितंबर, 2020 को तीन विधेयकों को पारित किया। 27 सितंबर, 2020 को राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त करने पर विधेयकों को अधिनियम में बदला गया था।
केंद्र सरकार का दावा क्या है?
सरकार का दावा है कि ये अधिनियम भारतीय कृषि की तस्वीर बदल देंगे और निजी निवेश को आकर्षित कर किसानों को समृद्ध बनाएंगे।
एक्ट प्रमुख प्रावधान क्या है?
- इसके तहत एक ऐसी प्रणाली बनाने का प्रस्ताव है, जहां किसान और व्यापारी मंडियों के बाहर उत्पाद बेच और खरीद सकते हैं
- कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के तहत किसानों को फसलों की बुवाई से पहले ही उनकी उपज की कीमत का आश्वासन दिया जाए
- बिक्री के समय किसानों से कोई उपकर या परिवहन लागत नहीं ली जाएगी
- किसानों को आधुनिक तकनीक, बेहतर बीज और अन्य आदानों तक पहुंच प्राप्त होगी जो उपज का बेहतर विकास करने में सक्षम हैं
किसानों को क्या डर है?
- देश भर के किसान इस डर में हैं कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नहीं मिलेगा जिसकी वे महीनों से मांग कर रहे हैं।
- बिना लाइसेंस या पंजीकरण के लोगों के प्रवेश के कारण किसानों को धोखाधड़ी का खतरा होगा।
- कॉर्पोरेट खरीदार के साथ व्यापार में किसी भी विवाद के मामले में, किसानों के हितों की अनदेखी होने का खतरा होगा।
- इसके अलावा, किसानों को अपनी जमीन खोने और कॉर्पोरेट्स का "गुलाम" बनने का डर है।
फिर किसान विरोध क्यों कर रहे हैं?
उन्हें डर है कि राज्यों की कृषि उपज बाजार समिति (APMC) कानून के तहत संचालित मंडियों को समाप्त कर दिया जाएगा।
APMC क्या है?
APMC भारत में राज्य सरकारों द्वारा स्थापित एक विपणन बोर्ड है, जो सुनिश्चित करता है कि किसानों को बड़े खुदरा विक्रेताओं द्वारा शोषण से सुरक्षित रखा जाए।
क्या होगा अगर APMC मंडियां बंद हो जाएं?
APMC मंडियों के खत्म होने के बाद किसान औने-पौने दाम पर कॉरपोरेट कंपनियों को फसल बेचने को मजबूर हो सकते हैं।
मूल्य निर्धारण के लिए कोई प्रक्रिया नहीं
प्राइस अश्योरेंस बिल (मूल्य आश्वासन विधेयक) किसानों को फसल के मूल्य शोषण से सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, इसमें मूल्य निर्धारण के लिए कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गई है। यह चीज किसानों का शोषण करने के लिए निजी कॉर्पोरेट घरानों को छूट दे सकती हैं।
किसान क्या चाहते हैं?
किसान नेता नए कृषि कानूनों में संशोधन करने की सरकार की पेशकश को खारिज कर रहे हैं, उनका कहना है कि वे कानून वापसी से कम कुछ भी नहीं चाहते।
क्या विपक्ष पूरी तरह से गलत है?
नहीं, विपक्ष पूरी तरह से गलत नहीं है। विपक्ष का ये तर्क सही लगता है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान राज्यों से परामर्श लिए बिना, संसदीय अनुमोदन की प्रक्रिया में उचित बहस, स्कूटनी और कंसल्टेशन के बिना इसे पास किया गया।
पंजाब और हरियाणा के लिए बड़ा नुकसान
पंजाब और हरियाणा सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के सबसे बड़े लाभार्थी हैं। अनुमान के मुताबिक नए कानूनों के तहत, पंजाब और हरियाणा क्रमश: 3,500 करोड़ रुपये और हर साल 1,600 करोड़ रुपये खो सकते हैं।