भारत में हर साल बीमारी के दस मिलियन से अधिक मामलों में वैरिकोज नसें बहुत आम वजद हैं। 30 प्रतिशत से अधिक वयस्कों के इस बीमारी से पीड़ित होने का अनुमान है।
इसकी मुख्य वजहें क्या हैं?
मूल रूप से इसका मतलब ऐसी नसों से हैं जिनमें सूजन हो या जिनका आकार बढ़ जाता है। ऐसा तब होता है जब नसों में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता हैं। इस दौरान नसों में ब्लड एक-तरफा वॉल्व के जरिये बढ़ता है, जिससे वॉल्व कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और नसों में ब्लड इकट्ठा हो जाता है।
इसके लक्षण क्या हैं?
इस बीमारी के मुख्य लक्षणों में नसों में सूजन और उनका आकार बढ़ना शामिल हैं। इस दौरान कई रोगियों को पैरों में दर्द का अनुभव हो सकता है और नसें नीली या गहरी बैंगनी दिखाई दे सकती हैं।
वैरिकोज नसों के कारण
वैरिकोज नसों की समस्या किसी आयु विशेष में नहीं होती, ये किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकती हैं। कुछ वजहे हैं जो वैरिकोज नसों के विकास की संभावना को बढ़ाती हैं। इनमें फैमिली हिस्ट्री, बहुत लंबे समय तक खड़े रहना या बैठना, अधिक वजन होना शामिल हैं।
रिस्क फैक्टर
महिलाओं में यौवन, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाले उनके हार्मोनल अंतर के कारण वैरिकोज नसों के संकुचन की संभावना अधिक होती है। बढ़ती उम्र के साथ लोगों में वैरिकोज नसों का रिस्क ज्यादा बढ़ जाता है।
गर्भावस्था
गर्भावस्था के दौरान, बढ़ता हुआ बच्चा आपके पेट और आपके पैरों की नसों पर दबाव डालता है। ऐसे में कई महिलाएं वैरिकोज नसों की शिकार हो जाती हैं, जो गर्भावस्था के दौरान विकसित होती हैं। हालांकि बच्चे के जन्म के 3 से 12 महीनों के भीतर ठीक हो जाती हैं।
घरेलू उपचार
दर्द कम करने और वैरिकोज नसों की समस्या को रोकने के लिए घर पर उपाय किए जा सकते हैं। इनमें व्यायाम करना, वजन कम करना और लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने से बचना शामिल हैं।
कम्पेशन स्टॉकिंग्स
कम्पेशन स्टॉकिंग्स रोगी के पैरों में झनझनाहट लाती हैं और परिसंचरण में सुधार करती हैं। यह बेचैनी, दर्द और सूजन में मदद कर सकता है, लेकिन रिसर्च में ये पुष्टि नहीं हुई है कि इससे वैरिकोज नसों की समस्या दूर होती है या कम होती है।
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