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जानें अपने कानूनी अधिकार भारत में कर्मचारियों के लिए अहम श्रम कानून

मुझे भारत में श्रम कानूनों के बारे में क्यों पता होना चाहिए?

किसी भी व्यक्ति के लिए करियर जुनून और आय दोनों का ही स्त्रोत होता है। अपने बुनियादी अधिकारों जानने से आपको ज्यादा लाभ मिल सकता है। इससे वर्क- लाइफ में बैलेंस बनाने में मदद मिलती है। पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों के लिए प्रचलित कानूनों और अधिकारों के बारे में जानना आवश्यक है।


मिनिमम वेजेस एक्ट, 1948
यह एक्ट किसी कर्मचारी को भुगतान की जाने वाली न्यूनतम मजदूरी या वेतन को नियंत्रित करता है। एक कर्मचारी का न्यूनतम वेतन कुछ कारकों पर निर्भर करता है। जैसे, वह किस राज्य से संबंधित है, स्किल या अनस्किल, डेजिगनेशन, इंडस्ट्री, अनुभव आदि।

एंप्लॉय प्रोविडेंट फंड एक्ट, 1952
कर्मचारी के वेतन से कटौती कर कुछ राशि प्रोविडेंट फंड अकाउंट में जमा की जाती है और रिटायर होने पर पेंशन के तौर पर दी जाती है। पीएफ खाते में कर्मचारी का योगदान हर महीने उसके बेसिक पे का 12% और डीए शामिल होता है।
पेमंट ऑफ वेजेस एक्ट, 1936
इस एक्ट के तहत कंपनियां हर महीने की 7 तारीख तक कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करने के लिए बाध्य हैं। अधिनियम कर्मचारियों के वेतन पर कटौती और गैर-कटौती के बारे में भी विचार करता है।

बोनस भुगतान एक्ट, 1965
सरकार ने वैधानिक बोनस अनिवार्य किया है। एक कर्मचारी को कंपनी से बोनस पाने का अधिकार है। किसी कर्मचारी को उसके वेतन के संबंध में बोनस देने की न्यूनतम सीमा 8.33% है।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कर्मचारी कुशल, अकुशल या अत्यधिक कुशल है, वे बोनस पाने का हकदार है।
समान पारिश्रमिक एक्ट, 1976
अगर कंपनी समान पद पर नौकरी के लिए भर्ती करती है, तो उसे लिंग, रंग या जाति के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर कोई कंपनी एक महिला अकाउंटेंट और एक पुरुष अकाउंटेंट को काम पर रखती है, दोनों के पास समान योग्यता और अनुभव है। फिर कंपनी को दोनों में अंतर किए बिना वेतन तय करना चाहिए।

मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017
यह एक्ट गर्भवती महिला या मां के लिए लाभकारी है। संशोधित अधिनियम में महिला कर्मचारियों के लिए सवैतनिक मातृत्व अवकाश के समय को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया है।
हर गर्भवती कामकाजी महिला मातृत्व अवकाश के लिए योग्य है। अगर उसने कम से कम 80 दिनों के लिए किसी ऑर्गेनाइजेशन के साथ काम किया है।
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948
इस अधिनियम के तहत एक कर्मचारी को चिकित्सा बीमा (व्यक्तिगत परिवार और दुर्घटना बीमा (व्यक्तिगत) का लाभ मिलता है। कवरेज की सीमा 21,000 रुपए और दिव्यांग व्यक्ति के लिए 25,000 रुपए है।
इसमें वेतन का कुल 4% ESI के लिए दिया जाता है, जिसमें 3.25% नियोक्ता और 0.75% कर्मचारी द्वारा दिया जाता है।


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