-->
mTYgoJMQ53InD94w2dRs81hIq8419eY33tI9XefB
Bookmark

India Maldives भारत से पंगा लेना पड़ा मालदीव को भारी आगए होश ठिकाने पर

 मालदीव ने पहले तो अकड़ दिखाई लेकिन अब हैसियत समझ में आई। जब नैया लगी डूबने, तब भारत की याद आई। मालदीव चीन के भरोसे भारत के साथ रिश्ते तलक करने चला था, मगर कुछ ही महीनों में आटे दाल का भाव पता चल गया। बात समझ में आ गई कि भारत के साथ रिश्ते बिगाड़ कर उसने अपना भारी नुकसान कर लिया है। क्योंकि इसका सीधा असर मालदीव के पर्यटन उद्योग पर पड़ रहा है। जो उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। चारों ओर समुद्र से घिरे मालदीप की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार पर्यटन ही है। लेकिन अब भारतीय सैलानियों की तादाद घट गई है, तो मालदीव के होश ठिकाने आ गए हैं।

India-Maldives भारत से पंगा लेना पड़ा मालदीव को भारी आगए होश ठिकाने पर


 मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 2023 में मालदीव का दौरा करने वाले 17 लाख से अधिक पर्यटकों में सबसे ज्यादा भारतीय थे। 2023 में 9198 भारतीय सैलानी मालदीव गए थे। मालदीव के सैलानियों के मामले में टॉप पर रहने वाला भारत 2024 में पांचवें नंबर पर पहुंच गया है। भारतीय पर्यटकों की संख्या में आई भारी कमी का सीधा असर मालदीव की इकॉनमी पर पड़ रहा है। छोटे से इस देश के लिए यह बड़ा नुकसान है। अब मालदीव मदद के लिए भारत की ओर टकटकी लगाए हुए हैं। 8 अप्रैल को माले में भारतीय उच्चायुक्त के साथ चर्चा के बाद मालती एसोसिएशन ऑफ ट्रेवल एजेंट्स एंड टूर ऑपरेट ने भारत के साथ यात्रा और पर्यटन सहयोग बढ़ाने की योजना बनाई है। इसके तहत भारत के कई शहरों में रोड शो आयोजित करने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा आने वाले महीनों में इन्फ्लुएंस और मीडिया को मालदीव ट्रिप पर भी ले जाया जाएगा ताकि वह वहां के बारे में जान सके और इसका फायदा मालदीव के पर्यटन उद्योग को मिल सके। 


मालदीव एसोसिएशन ऑफ ट्रेवल एजेंट्स एंड टूर ऑपरेटर्स के मुताबिक भारत मालदीव के लिए एक अहम बाजार बना हुआ है। उसने मालदीव को एक प्रमुख टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रमुख टूरिज्म संस्थाओं और इस इंडस्ट्री के अहम प्लेयर्स के साथ काम करने की बात कही है। अब मालदीव भी देख रहा है अब कि वह एक ही मुल्क के भरोसे नहीं रह सकता है। लेकिन पिछले साल नवंबर में मुजू के राष्ट्रपति बनने के के बाद संबंधों में दरार आनी शुरू हो गई और इसकी वजह बने चीन समर्थक माने जाने वाले मुसु उन्होंने भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर निकालने का आदेश देकर तल्ख यां बढ़ा ली। पर चीन को खुश करने के लिए इंडिया आउट कैंपेन चलाने वाले मोजू का यह रुख मालदीव पर अब भारी पड़ गया है।

 लेकिन एक बड़ा टर्न तब आया जब इस साल 6 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर लक्षदीप दौरे की कुछ तस्वीरें और वीडियोस पोस्ट किए। जिसे लेकर मालदीव के तीन नेताओं ने भारत विरोधी आपत्ति जनक कमेंट किए। फिर क्या था, भारत में सोशल मीडिया पर बॉयकॉट मालदीप ट्रेंड करने लगा। भारत की मशहूर हस्तियां लोगों को घूमने के लिए मालदीव के बजाय लक्षदीप जाने की सलाह देने लगी। कुछ निजी टूरिस्ट कंपनियों ने भी मालदीव की बुकिंग बंद करने की बात कर दी। इस कैंपेन का एक बड़ा असर हुआ मालदीव जाने वाले भारतीयों की संख्या में गिरावट आने लगी। उसके बजाय सैलानी लक्षदीप का रुख करने लगे। मालदीव के नीचे से खिसक जमीन से मोजू बेपरवाह रहे। चीन से अपनी करीबी बढ़ाने में लगे रहे। 5 दिन की यात्रा पर चीन गए, वहां से लौटने पर भारत पर निशाना साधा। लेकिन जब पर्यटन के आंकड़े आए, तो मालदीव सरकार के होश फक्ता हो गए।

 मालदीव में भारतीय पर्यटकों की घटती संख्या ने मालदीव की चिंता बढ़ा दी है। पैसा नहीं होगा, तो चीन पर निर्भरता बढ़ी। फिर एक दिन मालदीव भी चीनी कर्ज के दुष्चक्र में फंस जाएगा। शायद यह बात मालदीव के समझ में आ गई है और चीन के साथ तो खास तौर पर ऐसा होता है कि चीन ने पाकिस्तान को देखिए आप क्या किया, श्रीलंका को क्या किया, साउथ ईस्ट एश में क्या हो रहा है ये इसने देख लिया है। मदी ने पहले भी जब चीन से आर्थिक मदद ली जाती है, तो उसका हश क्या होता है। जो चीन से आर्थिक मदद आती है, वो आर्थिक मदद नहीं, वो कर्जा बन जाता है। और कर्जे के फेर में चलकर उनकी हालत और पहले से खराब हो जाती है। जो कि हिंदुस्तान के साथ में ऐसा नहीं होता है।

एक टिप्पणी भेजें

एक टिप्पणी भेजें