जब से कर्ज के तले दबी टेलीकॉम कंपनी vodafoneidea का हड़ कम हो गया है, तब से इसके बारे में बहुत से सवाल उठ रहे हैं। हम यह भी बताएंगे कि इस पूंजी का मकसद आखिर क्या है। इस पूंजी जुटाने के बाद vodafoneidea कंपनी का एपीओ 18 अप्रैल को खुलेगा और 22 अप्रैल तक यह चलेगा।
"Vodafone-Idea: कर्ज दबे टेलीकॉम कंपनी की चुनौतियाँ और उत्तर" |
vodafoneidea इसके एफपीओ का प्राइस कंपनी ने बुधवार का शेयर प्राइस 95 पैसे पर रखा है, जो कि क्लोजिंग प्राइस से कम है। इसी वजह से जब यह खबर आई, तो उसके बाद डफर ईया के शेयरों में तेज गिरावट दिखाई दी, जिससे शेयर 5 पर से ज्यादा गिरा और 20 पैसे पर पहुंच गया। कंपनी ने जेफरीज एसबीआई कैप्स और एक्सेस कैपिटल को अपने एफपीओ का लीड मैनेजर बनाया है। इन्वेस्टर्स को एक लॉट में 1298 शेयरों के लिए बोली लगानी होगी। अगर हम ₹1 के हिसाब से देखें, ₹1 के अपर प्राइस बैंड के हिसाब से देखें तो एक लॉट के लिए 142.78 आपको लगाने पड़ेंगे।
कंपनी के बोर्ड ने 27 फरवरी को 20,000 करोड़ जुटाने के लिए एफपीओ की मंजूरी दी थी। इससे पहले कंपनी 75 करोड़ प्रेफरेंशियल शेयरों के जरिए जुटा चुकी है। यह शेयर कंपनी ने अपनी प्रमोटर इकाइयों ओरियाना इन्वेस्टमेंट को जारी किए थे, जो कि रियाना इन्वेस्टमेंट है। यह कंपनी आदित्य बिड़ला ग्रुप से जुड़ी हुई है। आदित्य बिड़ला ग्रुप इस vodafoneidea से भी पैसा जुटाना चाहती है। इस तरह से कंपनी इक्विटी और डेट के जरिए कुल 45000 करोड़ जुटाने की योजना बना रही है।
अब बात यह आती है कि कंपनी इतना पैसा आखिर जुटा क्यों रही है। तो इसका जवाब यह है कि vodafone-idea भारी भरकम कर्ज के तले दबी है। कंपनी अपने कामकाज को चलाने में पूंजी की किल्लत हो रही है और यही वजह है कि वह बेहद गला काट कंपटीशन वाले टेलीकॉम मार्केट में मुकेश अंबानी की reliance से मैदान हारती जा रही है।
Vodafone शेयर ने एक साल में लगभग 100% का रिटर्न दिया है। इसका शेयर ₹1.40 पैसे के 52 हफ्ते का हाई भी बना चुका है। कंपनी के लिए एफपी और डेट के जरिए जो जुटाया गया पैसा है, वह इसके कामकाज को पटरी पर लाने में मददगार साबित हो सकता है। साथ ही, कंपनी 5जी की जिस दौड़ में भाग लेने की योजना बना रही है।
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