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MAKAR Sankranti पर्व और पतंगें उड़ाने का महत्व

 मकर संक्रांति, तिल की मिठाई और पतंगबाजी के लिए प्रसिद्ध त्योहार है। यह सूर्य देवता को समर्पित हैं। श्रद्धालु इस दिन गंगा नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं।

लोग पतंग क्यों उड़ाते हैं?

मान्यताओं के अनुसार पतंग उड़ाने की परंपरा का एक उद्देश्य ये हैं कि लोग सूर्य की किरणों के संपर्क में आ सकें, क्योंकि वे विटामिन डी के एक समृद्ध स्रोत के रूप में जानी जाती हैं। सर्दी बहुत सी बीमारियां लाती हैं, सूरज की किरणें इन्हें दूर भगाने के लिए जानी जाती हैं।


देवताओं का धन्यवाद

पतंग उड़ाना भी देवताओं को धन्यवाद देने का एक तरीका है, क्योंकि कुछ मान्यताओं के मुताबिक देवता छह महीने की अवधि के बाद मकर संक्रांति पर अपनी नींद से जागते हैं।


विभिन्न राज्यों में विभिन्न नाम

इसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पेद्दा पाडुगा, कर्नाटक और महाराष्ट्र में मकर संक्रांति, तमिलनाडु में पोंगल, असम में माघ बिहू, मध्य और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में माघ मेला, पश्चिम में मकर संक्रांति, केरल में मगहर वल्लकु के रूप में जाना जाता है। वहीं बंगाल में पौष संक्रांति, जबकि पंजाब में माघी और अन्य नामों से जाना जाता है।


संक्रांति रेसिपी

मकर संक्रांति भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न शैलियों, परंपराओं और अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है। इस दिन अलग-अलग राज्यों में तिल के खाद्य पदार्थ और तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें कलागाया कुरा, बहुरंगी चीनी हलवा और सबसे लोकप्रिय तिल के लड्डू-तिल शामिल हैं।


दुनिया की सबसे बड़ी सामूहिक तीर्थयात्रा

हर बारह साल में, हिंदू मकर संक्रांति को दुनिया का सबसे बड़े सामूहिक मेले का आयोजन करते हैं। कुंभ मेले में करीब 4 से 10 करोड़ लोग शामिल होते हैं, जो हर बार सबसे बड़ी मानव धार्मिक सभा का रिकॉर्ड बनाते हैं।


DID YOU KNOW?

पिछले 100 वर्षों से पारंपरिक रूप से मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती हैं, लेकिन 2019 से इसे 15 या 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। हालांकि 2021 में इसे 14 जनवरी को ही मनाया जा रहा है।


लोग मिठाई क्यों बांटते हैं?

तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों को बांटने के पीछे अवधारणा यह है कि किसी भी झगड़े या समस्याओं को एक-दूसरे के साथ भूलकर आनंद और शांति से रहें।


अच्छी शक्तियां बुरी शक्तियों को काबू करती हैं

मकर संक्राति का विशेष महत्व उत्तर की दिशा से आने वाली सूर्य किरणों से है जो देवताओं का निवास माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन से, अच्छी ताकतें बढ़ती हैं और दक्षिण की दिशा में रहने वाली बुरी शक्तियां कमजोर होती हैं।

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