आज हम गोल्ड (Gold) के बारे में चर्चा करेंगे, जो कि आजकल कई कारणों से सुर्खियों में है। मध्य पूर्व की अशांति, अमेरिका में बढ़ती महंगाई और डॉलर इंडेक्स में उतार-चढ़ाव ने सोने की कीमतों को एक नई ऊँचाई पर पहुँचा दिया है। हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें $400 के पार चली गईं, जो कि एक रिकॉर्ड है, और घरेलू बाजार में भी सोने का भाव ₹200,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गया।
गोल्ड (gold) की चमकदार यात्रा: मंदिरों में दान से लेकर बाजार के शिखर तक |
यह न केवल इस वर्ष बल्कि पूरे 2023 में सोने ने 13% का लाभ दिया है, जिससे यह अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में उच्च प्रदर्शन करता नजर आया है। शेयर बाजार की बात करें तो निफ्टी ने बीते तीन महीने में केवल 3.31% और निफ्टी मिडकैप व स्मॉलकैप ने क्रमशः 5.34% और 7.81% का रिटर्न दिया है, जो कि सोने के मुकाबले कम है।
इसके अलावा, एक दिलचस्प पहलू यह है कि तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (टीटीडी), जो विश्व के सबसे धनी हिंदू मंदिर ट्रस्टों में से एक है, ने 2023 में अपने भक्तों से लगभग 1031 किलोग्राम सोना प्राप्त किया, जिसकी कीमत लगभग 773 करोड़ रुपये है। टीटीडी के पास कुल 11,329 किलोग्राम सोना है, जिसकी कीमत लगभग 8500 करोड़ रुपये है।
इसके साथ ही, वैष्णो देवी मंदिर भी भक्तों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है, जहां पिछले 20 वर्षों में लगभग 1800 किलोग्राम सोना, 4700 किलोग्राम चांदी और 2.45 लाख रत्नों का दान मिला है।
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि सोना (gold) न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में एक प्रमुख निवेश साधन बन चुका है, जिसका महत्व अर्थव्यवस्था और संस्कृति दोनों में गहराई से निहित है। इसके अलावा, वैश्विक अशांति के दौरान, सोने की मांग और उसकी कीमत में वृद्धि होती है, जो इसे एक सुरक्षित निवेश का दर्जा देती है।
सोने (gold) के भविष्य के बाजार पर विचार करते हुए, निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि सोने का मूल्य अन्य वित्तीय संपत्तियों के प्रदर्शन से प्रभावित हो सकता है। हालांकि, यदि विश्व अशांति और महंगाई की वृद्धि जारी रहती है, तो सोने की कीमतें उच्च रह सकती हैं। निवेशकों के लिए यह एक दीर्घकालिक और स्थिर निवेश विकल्प के रूप में प्रमुखता से उभर सकता है।
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